NEPAL PLANE CRASH:
नेपाल में इस साल जनवरी में हुए हवाई विपत्ति मामले पर अब बड़ा खुलासा हुआ है। सरकारी जांच रिपोर्ट के मुताबिक, इस दुर्घटना में 72 लोगों की जान लेने का कारण पायलटों की एक छोटी सी गलती थी। विमान के पावर लीवर को गलत पोजीशन में लगाने के कारण इंजन में थ्रस्ट नहीं हुआ, जिससे हवाई जहाज हवा में ही रुक गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
यह हादसा 15 जनवरी को हुआ था, जब येती एयरलाइंस की फ्लाइट ATR 72 राजधानी काठमांडू से पर्यटन शहर पोखरा जा रही थी। दुर्घटना में मारे गए 72 लोगों में दो नवजात शिशु भी शामिल थे।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाइट के पायलटों ने गलती से विमान के इंजन कंट्रोल लीवर को ‘फेदरिंग’ पोजीशन में डाल दिया, जबकि उन्हें ‘फ्लैप’ लीवर लगाना चाहिए था। इस गलती के कारण इंजन निष्क्रिय हो गया और उसने थ्रस्ट नहीं दिया। परिणामस्वरूप विमान हवा में ही रुक गया और 49 सेकंड तक हवा में रहने के बाद सेती नदी की खाई में जा गिरा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुर्घटना के लिए पायलटों की यह गलती ही मुख्य कारण थी, लेकिन इसके अलावा अनुचित तकनीकी और कौशल प्रशिक्षण की कमी, ज्यादा काम का बोझ और तनाव तथा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रियाओं का पालन न करना भी योगदान देने वाले कारक थे।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दुर्घटनाग्रस्त विमान का उचित रखरखाव किया गया था, इसमें कोई ज्ञात तकनीकी खराबी नहीं थी और कॉकपिट क्रू नेपाल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के नियमों और विनियमों के अनुसार योग्य थे।
इस दुर्घटना की जांच में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और सिंगापुर के एक दर्जन से अधिक जांचकर्ता शामिल थे।
NEPAL PLANE CRASH में कोई असामान्य घटना नहीं हैं। दुर्गम हवाई पट्टियों और मौसम में अचानक होने वाले बदलाव के कारण यहां अक्सर खतरनाक परिस्थितियां बन जाती हैं। पिछले मई में भी येती एयरलाइंस की ही एक फ्लाइट तारा एयर 197 पहाड़ से जा टकराई थी, जिसमें 22 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई थी।
नेपाल का हवाई सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतर नहीं है। इस वजह से पिछले एक दशक से यूरोपीय संघ ने नेपाली एयरलाइंस को अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने पर रोक लगा रखी है।
NEPAL PLANE CRASH की इस रिपोर्ट से पायलटों के प्रशिक्षण, मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुपालन और विमान सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।