NEW HIT AND RUN LAW
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NEW HIT AND RUN LAW: ट्रक ड्राइवरों का हंगामा! क्या सख्त सजा के नाम पर रोजगार छीनना है सरकार का मकसद?

NEW HIT AND RUN LAW:

भारत की सड़कों को रफ्तार दे रहे लाखों ट्रक ड्राइवर इन दिनों गुस्से में आगबबूला हो रहे हैं। वजह है केंद्र सरकार द्वारा लाया गया NEW HIT AND RUN LAW, जिसके तहत दुर्घटना की स्थिति में अब सख्त सजा का प्रावधान है। ड्राइवरों का कहना है कि यह कानून अन्यायपूर्ण है और उनकी रोजी-रोटी छीन रहा है। विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम और हॉर्न की तूफान के बीच आइए समझते हैं कि आखिर क्या है ये पूरा मामला और क्यों भड़के हुए हैं ट्रक ड्राइवर?

सख्त सजा का डंडा, ड्राइवरों की चिंता

NEW HIT AND RUN LAW सड़क दुर्घटनाओं में मौत या गंभीर चोट लगने पर कठोर सजा का प्रावधान करता है। मृत्यु के मामले में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम 14 साल तक की सजा का प्रावधान है, वहीं गंभीर चोट के लिए न्यूनतम 5 साल से अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है। ये सजाएं पहले के नियमों की तुलना में काफी ज्यादा हैं, जिससे ड्राइवरों में बेचैनी का माहौल है।

ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि सड़क पर परिस्थितियां अक्सर अप्रत्याशित होती हैं। तेज रफ्तार से आ रहे किसी बाइक सवार का अचानक टकराना, सड़क पार कर रहे जानवर को बचाने की कोशिश में हादसा होना – ऐसी कई स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें ड्राइवर का नियंत्रण नहीं होता। लेकिन नए कानून के तहत, ऐसी दुर्घटनाओं में भी उन्हें कठोर सजा भुगतनी पड़ सकती है।

“मैं 20 साल से ये ट्रक चला रहा हूं। हाईवे पर तेज रफ्तार का मतलब जिंदगी और मौत का खेल है। हर पल सतर्क रहना पड़ता है। लेकिन हर हादसे में हमें ही दोषी ठहराया जाएगा? क्या कोई जानबूझकर किसी को रौंदता है?” – ये सवाल राजस्थान के ट्रक ड्राइवर मोहन सिंह (बदला हुआ नाम) के मन में है।

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रोजी-रोटी पर संकट का डर

ट्रक ड्राइवरों की एक बड़ी चिंता ये भी है कि सख्त सजा के डर से वे सावधानी के नाम पर धीमी गति से गाड़ी चलाएंगे, जिससे माल डिलीवरी में देरी होगी और उनकी कमाई कम हो जाएगी। कई ट्रेड यूनियन का कहना है कि पहले ही महंगाई और कम समयसीमा के दबाव में काम कर रहे ड्राइवरों के लिए ये नया कानून एक और मुसीबत बनकर आया है।

“पहले ही मालिक टाइम पर माल न पहुंचाने पर हर्जाना काटते हैं। अब इस सख्त कानून के डर से हम और धीमे चलेंगे तो कमाई कैसे होगी? परिवार का कैसे पालेंगे?” – पंजाब के एक ट्रक ड्राइवर सुरजीत सिंह (बदला हुआ नाम) की चिंता में कई साथी ड्राइवरों की आवाज सुनाई देती है।

विरोध प्रदर्शन से हिली सड़कें

NEW HIT AND RUN LAW के खिलाफ गुस्से में ट्रक ड्राइवरों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। कई राज्यों में उन्होंने हाईवे जाम कर दिए हैं, जिससे माल ढुलाई ठप हो गई है और आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कलकत्ता, बेंगलुरु – देश के लगभग सभी प्रमुख शहर इस विरोध की आग में झुलस रहे हैं। नारेबाजी, हॉर्न की तूफान और सरकार के खिलाफ जुलूस देश की सड़कों पर एक असंतोष का गीत गा रहे हैं।

सिर्फ सजा, सुरक्षा कहां है?

ट्रक ड्राइवरों की नाराजगी सिर्फ कठोर सजा तक ही सीमित नहीं है। उनका कहना है कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। रात-दिन अनिश्चित समयों में गाड़ी चलाने की मजबूरी, थकान के बावजूद ड्राइव करने का दबाव, हाईवे पर लूटपाट का खतरा, अतिक्रमण के कारण सड़कों का संकीर्ण होना – ये सारी बाधाएं उनके जीवन को दांव पर लगाती हैं।

“हम रात-दिन सड़कों पर होते हैं, परिवार से दूर रहते हैं। हाईवे पर लुटेरों का खतरा भी बना रहता है। लेकिन सरकार सिर्फ सजा की बात करती है, हमारी सुरक्षा का क्या?” – केरल के एक ट्रक ड्राइवर विष्णु (बदला हुआ नाम) का सवाल सड़क के हर मील पर सरकार से पूछ रहा है।

समाधान की तलाश, संवाद की उम्मीद

ट्रक ड्राइवर यूनियन सरकार से एक ऐसे कानून की मांग कर रहे हैं जो सख्त तो हो, लेकिन साथ ही उनकी सुरक्षा और परिस्थितियों को भी ध्यान में रखे। वे फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग कर रहे हैं ताकि दुर्घटनाओं के मामलों का जल्दी से निपटारा हो सके। इसके अलावा, हाईवे की सुरक्षा, ड्राइविंग घंटों पर नियमन और थकान दूर करने के इंतजाम की भी मांग की जा रही है।

विरोध प्रदर्शन के बीच अब सरकार और ट्रक ड्राइवर यूनियन के बीच बातचीत की उम्मीद जगी है। उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक संवाद इस समस्या का एक उचित और स्थायी समाधान निकाल पाएगा।

जिंदगी की सड़क, सवालों का चौराहा

इस मुद्दे पर बहस तेज है। एक पक्ष सड़क सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए नए कानून का समर्थन कर रहा है, वहीं दूसरा पक्ष ट्रक ड्राइवरों की चिंताओं को उठा रहा है। सवाल ये है कि क्या कठोर सजा सड़क सुरक्षा का एकमात्र रास्ता है? क्या ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी सिर्फ दुर्घटनाओं के आंकड़ों में बदलकर रह जाएगी? क्या उनकी सुरक्षा, उनके अधिकारों का भी कोई मोल है?

ये सवाल इस आंदोलन को एक बड़े सामाजिक संवाद का रूप देते हैं। एक संवाद, जो हमें जिंदगी की सड़क पर चलने वालों के बारे में सोचने को मजबूर करता है। जहां हाईवे सिर्फ माल ढोने का रास्ता नहीं, बल्कि लाखों लोगों की रोजी-रोटी, सपनों और हकीकत का सफरनामा भी है।

नोट: यह लेख ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में विभिन्न पक्षों के विचारों को प्रस्तुत करता है। लेखक किसी विशेष पक्ष का समर्थन नहीं करता है, बल्कि इस जटिल मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।

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